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राष्ट्रीय युवा दिवस: रिपोर्ट बताती है कि झारखंड में युवा सशक्तीकरण की राह में बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था सबसे बड़ी बाधाएं हैं

Adolescents | January 12, 2020

‘झारंखंड में किशोरियों की स्‍थिति’ की रिपोर्ट के अनुसार, 18-21 वर्ष की 12% लड़कियों ने बचपन में ही बच्‍चे पैदा किया था और 18-21 वर्ष की आयु की एक तिहाई लडकियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही कर दिया गया था।

रांची, 12 जनवरी, 2020: राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आई नई रिपोर्ट, ‘झारंखंड में किशोरियों की स्‍थिति’ में कहा गया है कि झारखंड में युवा आबादी की क्षमता का लाभ लेने की राह में बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था दो प्रमुख चुनौतियां हैं। 10 टू 19 दासरा अडोलसेंट्स कोलाबोरेटिव ने शिक्षा, यौन और प्रजनन अधिकार (एसआरएचआर) रोजगार, मीडिया पहुँच और शीघ्र विवाह सहित उनके जीवन में विकास  के क्षेत्रों का अध्ययन करने के लिए पूरे झारखंड के 15,963 किशोरों और युवाओं (10-21 आयु वर्ग) का सर्वेक्षण किया। भारत में किशोरों के सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों को समझने के एक विशेष प्रयास में, झारखंड के 325 गांवों और शहरी वार्डों के 41393 घरों में सर्वेक्षण किया गया था।

 

दासरा की एसोसिएट डायरेक्टर शैलजा मेहता ने बताया कि “नीति आयोग के सस्‍टेनेलेबल डेवलपमेंट गोल्‍स (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स 2019 में, झारखंड महत्‍वाकांक्षी राज्य श्रेणी में आता है जिसे एसडीजी के मामले में अपने प्रदर्शन में तेजी लाने की आवश्यकता है। युवा आबादी की पूर्ण क्षमता विकसित करके एसडीजी के मामले में तेज प्रगति हासिल की जा सकती है। ‘झारंखंड में किशोरियों की स्‍थिति’ रिपोर्ट की सिफारिश है कि सरकार और गैर-लाभकारी संगठनों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके), शिक्षा के क्षेत्र में समग्र शिक्षा अभियान, कौशल एवं रोजगार के क्षेत्र में राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन और तेजस्विनी कार्यक्रम, तथा सशक्तिकरण और नेतृत्व निर्माण के क्षेत्रों में एसएजी कार्यक्रम, नेहरू युवा केंद्र संगठन और आरकेएसके की समुदाय आधारित गतिविधियों के बेहतर कार्यान्‍वयन के लिए ध्‍यान देने की जरूरत है।"

 

बाल विवाह और किशोर गर्भावस्था का अत्‍यधिक प्रसार 

 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-4 के निष्कर्षों की पुष्टि करते हुए, रिपोर्ट झारखंड में बाल विवाह के व्यापक प्रसार को दर्शाती है, जहाँ 15-21 वर्ष की 4% लड़कियों का विवाह 15 वर्ष की आयु से पहले किया गया था, और 18-21 वर्ष की आयु की एक तिहाई (33%) लड़कियों का विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले होग गया था।

 

आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि जल्दी विवाह हो जाने से बच्चे भी जल्‍दी पैदा हो जाते हैं। 15-21 वर्ष की लड़कियों में से शायद ही किसी (<1%) ने 15 वर्ष की आयु से पहले जन्म दिया हो, 18-21 वर्ष की 12% लड़कियों ने बचपन में (18 वर्ष से कम उम्र में) जन्म दिया था, और लगभग 20-21 की आयु वाली पाँच लड़कियों में से दो ने (39%) किशोरावस्था (20 वर्ष की आयु से नीचे) में बच्‍चों को जन्म दिया था।

 

गर्भ निरोधकों और स्वास्थ्य संबंधी मामलों के बारे में जागरूकता का अभाव किशोरों को यौन संचारित रोगों (एसटीडी) और किशोर गर्भावस्था के प्रति अधिक जोखिम में डाल रहा है।

 

रिपोर्ट के अनुसार, 61% लड़के, 52% विवाहित लडकियाँ और 19% अविवाहित लड़कियों को गर्भनिरोध के चार तरीकों में से एक की गहन जानकारी थी, जो किशोरों के लिए उपयुक्‍त और अपेक्षाकृत सुलभ दोनों ही है। गर्भनिरोध के चार तरीके हैं: मौखिक गोलियां, आपातकालीन गर्भनिरोधक, कंडोम और इंट्रायूटेराइन डिवाइस (आईयूडी)। सारी लड़कियों को छोड़ भी दें तो विवाहित लडकियाँ भी इस समझ से दूर हैं कि एक महिला पहली बार यौन संबंध बनाने से ही गर्भवती हो सकती है। सिर्फ 8-11 प्रतिशत छोटे लड़कों और लड़कियों, 27-28 प्रतिशत बड़े लड़कों और अविवाहित लड़कियों, और विवाहित लड़कियों में से सिर्फ आधी लडकियों (52%) ने इसकी जानकारी होने की बात कही।

 

समस्या का सामना करते हुए, मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा कार्यकर्ताओं) और आंगनवाड़ी वर्कर्स (एडब्‍लूडब्‍लू) के विशाल नेटवर्क की उपस्थिति के बावजूद, साक्षात्कार से पहले वाले वर्ष के दौरान केवल 7-14% लड़कों, 22-26% छोटी लड़कियों और 15-21 वर्ष की अविवाहित लड़कियों ने ही एडब्‍लूडब्‍लू या आशा कार्यकर्ता से स्‍वास्‍थ्‍य संबंधी कोई जानकारी, परामर्श, रेफरल, आपूर्ति या सेवाएं प्राप्‍त की थीं।

 

शिक्षा के परिणामों पर बाल विवाह का प्रभाव

 

बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 ने प्राथमिक शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य बना दिया है। हालाँकि, ‘झारंखंड में किशोरियों की स्‍थिति’ की रिपोर्ट बताती है कि कई लड़कियों, विशेष रूप से विवाहित लड़कियों, ने समय से पहले शिक्षा बंद कर दी है।

  

हालांकि राज्य के सभी अविवाहित किशोरों में से 96-99% का स्कूल में नामांकन हो गया है, लेकिन लगभग 12% विवाहित किशोरों का स्कूल में दाखिला नहीं हुआ है। सर्वेक्षण में पता चला कि लगभग 93-94% युवा किशोरों को स्कूल में नामांकित किया गया था, लेकिन 15-21 से कम उम्र के बहुत कम (64%) लड़के और अविवाहित लडकियाँ शिक्षा प्राप्‍त कर रहे थे। डेटा से इसकी पुष्टि होती है कि जो लडकियाँ समय से पहले स्कूली शिक्षा प्रणाली में प्रवेश नहीं करती हैं या समय से पहले स्‍कूल से निकल जाती हैं, वे जल्‍दी विवाह करने वाली अन्‍य लड़कियों की तुलना में अधिक जोखिम में होती हैं। जब सर्वेक्षण में विवाहित लड़कियों (15-21 आयु वर्ग) से अनियमित उपस्थिति के कारणों के बारे में पूछा गया, तो उनमें से 60% ने घरेलू काम की वजह बतायी तथा 12% ने शादी और गर्भधारण का कारण बताया।

 

10 टू 19 दासरा अडोलसेंट्स कोलाबोरेटिव के एक सहयोगी संगठन, चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सीआईएनआई) की डॉ. इंद्राणी भट्टाचार्य ने बताया कि “किशोरों को क्षेत्रीयता, भौगोलिक स्थिति, सुरक्षा संबंधी जोखिम और पारंपरिक रिवाजों के संबंध में विभिन्न संकटों का सामना करना पड़ता है। ‘झारंखंड में किशोरियों की स्‍थिति’ रिपोर्ट के नतीजे किशोरों को सुरक्षा प्रदान करने के उद्देश्‍य से संभावनाओं का पता लगाने का निर्देश देते हैं जो किशोरों की मजबूती को बढ़ावा देने में मदद करेगी। यह अध्ययन सरकार द्वारा अब तक लागू की गई विभिन्न योजनाओं के लाभों को समझने में भी मदद करता है।“

 

किशोर के मामलों की अभिव्यक्ति में सुधार का महत्व

 

अध्ययन के सभी निष्कर्ष किशोरों को उनके जीवन, शिक्षा, विवाह, स्वास्थ्य और मोबिलिटी से संबंधित निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाने की आवश्यकता की ओर इशारा करते हैं। रिपोर्ट के निष्कर्षों से पता चलता है कि 27% विवाहित लड़कियाँ विवाह से जुड़े फैसलों में शामिल नहीं थीं और 56% लड़कियों को ऐसा करने के लिए उनके माता-पिता ने कहा था और उनकी सहमति बनाई थी। रिपोर्ट के निष्कर्षों में किशोर वर्ग की सीमाओं और उनके लगभग सभी आयामों में काफी लैंगिक असमानताएं भी देखी गईं। 11% छोटी लड़कियों और 28-33% बड़ी लड़कियों की तुलना में 35% और 91% प्रतिशत क्रमशः छोटे और बड़े लड़कों को, जिन चार स्थानों को लेकर हमने सवाल पूछे थे और जाँच किये थे, उनमें से कम से कम तीन स्थानों पर जाने की आजादी थी।

 

झारखंड में 70 लाख युवा हैं। अगर जीवन दशा में सुधार हो तो ये राज्य के विकास में परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकते हैं। शिक्षा, पोषण, एसआरएचआर, प्रारंभिक गर्भावस्था की रोकथाम और कौशल से प्राप्‍त नतीजों जैसे क्षेत्रों में खामियां बनी हुई हैं। ‘झारंखंड में किशोरियों की स्‍थिति’ रिपोर्ट और 2019 में दासरा एडोलसेंट कोलाबोरेटिव द्वारा की गई सोशल ऑडिट प्रमुख खामियों और समाधान पर रोशनी डालती है। स्थानीय गैर-लाभकारी संगठनों के साथ मिलकर दासरा ने राज्य सरकार के अधिकारियों को इन समाधानों का प्रस्ताव दिया है और युवाओं की सेवा करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करती है।

10 टू 19 दासरा अडोलसेंट्स कोलाबोरेटिव जैसे कार्यक्रम गैर-लाभकारी संगठनों, दाताओं, तकनीकी विशेषज्ञों और सरकार को साथ लाते हुए, लाखों किशोरों के जीवन को सशक्त बनाने और सकारात्मक रूप से प्रभावित करने के लिए इस प्रयास को गति प्रदान कर रहे हैं। जहाँ सरकार आरकेएसके, तेजस्विनी और समग्र शिक्षा अभियान के माध्यम से किशोरों के समग्र विकास के लिए एक मिशन के रूप में काम कर रही है, वहीं दासरा अडोलसेंट्स कोलाबोरेटिव के प्रयासों का उद्देश्य झारखंड में किशोर केंद्रित कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने में सरकार की मदद करना है।

 

किसी भी अन्य जानकारी के लिए, कृपया akshay@dasra.org को लिखें।

  

दासरा के बारे में

दसरा का संस्कृत में अर्थ है ‘जागरुकता के साथ देना’। दासरा एक अग्रणी महत्‍वपूर्ण परोपकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य एक ऐसे रूपांतरित भारत का निर्माण है, जहां एक अरब लोग गरिमापूर्ण और न्‍यायसंगत तरीके से विकास करें। 1999 में अपनी स्थापना के बाद से, दासरा ने हितधारकों (कॉरपोरेट्स, फ़ाउंडेशन, परिवार, गैर-लाभकारी, सामाजिक व्यवसाय, सरकार और मीडिया) के विश्वास-आधारित नेटवर्क के बीच शक्तिशाली भागीदारी के माध्यम से सहयोगात्मक कार्रवाई करके सामाजिक परिवर्तन को गति दी है। इन वर्षों में, दासरा ने 500 परोपकारियों, कॉरपोरेट और फाउंडेशन के साथ काम किया है, विभिन्न क्षेत्रों में 22 शोध रिपोर्टों को प्रकाशित की है और इस सेक्‍टर के लिए 34 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का वित्तपोषण किया है।

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