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लड़कियों के नेतृत्व में शुरू की गई पहल ने बेहतर स्वास्थ्य और समग्र कल्‍याण के लिए 10 महत्‍वपूर्ण सिफारिशें कीं

Adolescents | September 24, 2019

झारखंड में सामूहिक प्रयास के लिए ‘अब मेरी बारी’ की बालिका समर्थकों ने प्रमुख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामुदायिक नेताओं, सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य किशोरों के साथ बातचीत किया

रांची, 24 सितंबर, 2019: आज लगभग 60 बालिकाओं ने सरकारी प्रतिनिधियों, प्रमुख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामुदायिक नेताओं, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य किशोरियों को दस महत्‍वपूर्ण सिफारिशों का एक चार्टर दिया। इन बालिका समर्थकों ने झारखंड के छह जिलों में उनके द्वारा आयोजित 63 सोशल ऑडिट के विश्लेषण के आधार पर दस महत्‍वपूर्ण सिफारिशों की पहचान की।

बालिका समर्थकों द्वारा तैयार की गई 10 सिफारिशों का चार्टर निम्नलिखित है:

  1. प्रत्येक ब्लॉक में हमारे लिए किशोर हितैषी हेल् क्लीनिक उपलब्ध कराएं, जहां दी जा रही सेवाओं के बारे में स्पष्ट जानकारी भी हो। 
  2. किशोर हितैषी हेल् क्लीनिक में उपलब्ध गर्भनिरोधक विधियों, परामर्श सेवाओं और अन्य दवाओं को समझने में हमारी मदद करें। 
  3. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से आरटीआई, एसटीआई, एड्स जैसे गैर-संचारी और संचारी रोगों के बारे में हमें जानकारी दें। 
  4. हमारे स्कूलों में नामांकित छात्रों की संख्या के लिए शिक्षकों की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। 
  5. सरकारी स्कूलों में कम से कम 8वीं कक्षा तक एक्स्ट्रा करिकुलर गतिविधियों के साथ, समय पर अध्ययन सामग्री वितरित करें। 
  6. सरकारी स्कूलों में लड़कों और लड़कियों के लिए स्वच्छ और सुरक्षित प्रसाधन सुविधाएं मिलनी चाहिए। 
  7. सुनिश्चित करें कि हमारे आंगनवाड़ी केंद्रों में हमेशा सैनिटरी पैड उपलब्ध हों। 
  8. बाल विवाह को रोकने के लिए, सभी संस्थानों में, हमारे साथ खुली बातचीत करें। 
  9. हमारी सुरक्षा के लिए पोक्सो और जेजे एक् के बारे में हमें जानकारी दें। 
  10. ग्राम स्तरीय बाल संरक्षण समिति (वीएलसीपीसी) को बनाने में हमें कोई भूमिका दें। 

 

सिमडेगा के कोलेबिरा की कृति कुमारी ने बताया कि “स्कोर कार्ड करते समय, हमें सरकारी अधिकारियों और प्रमुख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने का अवसर मिला जो किशोरी केंद्रित कार्यक्रमों और योजनाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। इससे हम उनके नजरिये को समझ पाये और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से सेवाओं की डिलीवरी में सुधार के लिए सिफारिशें प्रदान कर पाये।”

देवघर जिल्ला में शेम्पू कुमारी की गर्ल चैंपियन ने कहा, "इसे पहले कभी हमे चाइल्ड डेवलपमेंट प्रोजेक्ट अफसर (सी. डी. पी. ) से बात करने का मौका नहीं मिला था। स्कोर कार्ड के चलते हमे अपनी बात रखने का मौका मिला। हमारे सारे सवालो का अच्छे से जबाब मिला और आहार और पोषण के बारे में बहुत अच्छी तरह से जानकारी मिली।“

बालिका समर्थकों ने चार्टर को एक बस यात्रा के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया, जो झारखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सात जिलों में जा रही है। इस बस यात्रा की मेजबानी ‘अब मेरी बारी अभियान कर रहा है, जो मार्च 2019 में शुरू हुआ है, जिसका उद्देश्‍य देशव्यापी स्तर पर किशोरियों की प्राथमिकताओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

झारखंड के किशोरियों को सशक्त बनाने के लिए सहयोगी कार्रवाई के बारे में एक पैनल में, चाइल्ड इन नीड इंस्टिट्यूट, के प्रोग्राम मैनेजर, अमित घोष ने कहा किझारखंड की किशोरियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का संबंध कई सामाजिक मुद्दों से है। 63 गांवों से प्राप्त सोशल ऑडिट डेटा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों (एसआरएचआर) में सुधार के लिए स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों, स्थानीय शासन के निकायों और समुदायों को अच्छी तरह से सुसज्जित करने की आवश्यकता पर जोर डालते हैं। इसे सरकारी विभागों, गैर-सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों के सहयोग से संभव बनाया जा सकता है।” 

ब्योमकेश लाल, सीनियर प्रोग्राम अफसर, सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज  संस्था ने कहा, "झारखंड में आंदोलनों का नेतृत्व करने वाली महिलाओं की एक परंपरा है। गर्ल चैंपियन सरकार को लिए अपनी मांगों व्यक्त करने वाली महिला नेतृत्व का महान उदाहरण हैं।"

21 सितंबर को गुमला में बस यात्रा शुरू हुई, और स्थानीय अधिकारियों और लोगों के साथ बातचीत करने के लिए आज सुबह सिमडेगा पहुंची। अगला पड़ाव रांची है जहां राज्य स्तर का एक बड़े आयोजन में, उत्तर प्रदेश के लिए रवाना होने से पहले, झारखंड की गतिविधियों का समापन किया जायेगा।

चार्टर में दी गईं सिफारिशें झारखंड के सिमडेगा, सरायकेला, दुमका, गुमला, देवघर और लोहरदगा जिले के 63 गांवों में की गई किशोरी केंद्रित योजनाओं और सेवाओं के सोशल ऑडिट और रिसोर्स मैपिंग पर आधारित हैं, जिसमें राष्‍ट्रीय किशोर स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम (आरकेएसके), माहवारी स्वच्छता योजना (एमएचएस) और सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) जैसी योजनाएं शामिल हैं। वर्ष 2019 के अगस्त और सितंबर में कुल 63 सोशल ऑडिट एकत्र किए गए और उनका मिलान किया गया। लड़कियों द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा और सिफारिशें एक छोटे सैम्‍पल साइज पर आधारित हैं और यह बालिका समर्थकों और सामुदायिक हितधारकों की धारणाओं पर केन्‍द्रित हैं।

ये 60 बालिका समर्थकों ने ‘अब मेरी बारी’ अभियान के अंतर्गत अपने सीखे गये कौशल के आधार पर 300 अन्य बालिका समर्थकों को प्रशिक्षित करेंगी। इन कौशलों में सरकारी सेवाओं का आकलन करना, विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़ना, सोशल ऑडिट करना, सार्वजनिक बोलना, आंकड़ों का विश्लेषण करना और अपने स्थानीय प्रशासन के लिए सिफारिशें करना और संबंधित लोगों के साथ साझेदारी में इन सिफारिशों को लागू करने पर काम करना शामिल है।

किसी भी अन्य जानकारी के लिए, कृपया akshay@dasra.org को लिखें।

अब मेरी बारीके बारे में

अब मेरी बारीअभियान मार्च 2019 में शुरू किया गया था। यह अभियान किशोरियों के मुद्दों को सामने लाने तथा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, पोषण जैसे मुद्दों पर, जो उनके समग्र विकास और सेहत में योगदान करते हैं, बातचीत करने का प्रयास है किशोरियों की प्राथमिकताओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश् सेअब मेरी बारीअभियान को एक राष्ट्रव्यापी अभियान बनाने के लिए तैयार किया गया है।

अभियान के पहले चरण में, गतिविधियों को झारखंड और राजस्थान में केंद्रित किया गया है। अभियान की गतिविधियों को 60 से अधिक बालिका समर्थकों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है जिसमें क्वेस्ट एलायंस, सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज, चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट, मैजिक बस, अरावली, दासरा पूरे झारखंड और राजस्थान में शामिल हैं। इन लड़कियों को उनके संबंधित गांवों में सरकारी सेवाओं का आकलन करने, अपने साथियों, समुदायों और सेवा प्रदाताओं के साथ जुड़ने, सोशल ऑडिट करने, सिफारिशें तैयार करने और इन सिफारिशों को साथ मिल कर आगे ले जाने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन के साथ काम करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

अगले चरण में, 60 से अधिक बालिका समर्थक 300 बालिका समर्थकों को एक समान स्किल सेट पर प्रशिक्षित करेंगी। ये 300 बालिका समर्थक किशोरी-केंद्रित सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की बेहतर डिलीवरी के लिए आकलन करना, विश्लेषण करना, साझा करना और सहयोग करना जारी रखेंगी।

सोशल ऑडिट के निष्कर्षों की मुख्य विशेषताएं

लड़कियों के नेतृत्व वाले सोशल ऑडिट के गुणात्मक विश्लेषण से पता चला कि सामाजिक कार्यक्रमों की डिलीवरी के मामले में किन क्षेत्रों में सुधार हो सकते हैं, जिसका झारखंड में स्वास्थ्य, पोषण और जेंडर समानता से संबंधित प्रमुख विकास संकेतकों में सुधार लाने में प्रत्यक्ष प्रभाव हो सकते हैं।

क्षेत्र 

विश्लेषण 

यौन अधिकार स्वास्थ्य अधिकार और स्वास्थ्य

  • 63 में से 37 गांवों मतें दी जा रही सेवाओं के संदर्भ में मौखिक रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/उप स्वास्थ्य केंद्र में श्वसन तंत्र संक्रमण (आरटीआई), यौन संचारित रोग (एसटीडी), एड्स जैसे गैर-संचारी और संचारी रोगों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
  • 63 गांवों में से केवल चार में अनुकूल किशोरी अनुकूल स्वास्थ्य क्लिनिक (एएफएचसी) हैं, 12 गांवों में एएफएचसी की सेवाएं नहीं हैं, 19 गांवों में सेवाएं हैं लेकिन ये सभी के लिए सुलभ नहीं हैं, 28 गांवों में एएफएचसी की पर्याप्त पहुंच है।
  • तीन गांवों में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। यह 23 गांवों में दिया जाता है लेकिन मौखिक रूप से नहीं बताया गया है, इसे पांच एएफएचसी में प्रदर्शित किया गया और समझाया गया है। पांच गांव शिविरों और अभियानों के माध्यम से जानकारी प्रदान करते हैं 

शिक्षा

  • केवल 29 गांवों में अध्ययन सामग्री के साथ-साथ अच्छी गुणवत्ता वाली मुफ्त पुस्तकों तक पहुंच है, 12 गांवों में पहुंच तो है, लेकिन यह पहुंच खराब गुणवत्ता के साथ है, 11 में अनियमित पहुंच है और 11 में सेवा तक पहुंच नहीं है। 

स्वच्छता और माहवारी स्वच्छता प्रबंधन

  • 35 गांवों में, एएफएचसी में सैनिटरी पैड का बुनियादी सेवा प्रावधान अनुपलब्ध है। 17 गांवों में सेवा तो उपलब्ध है, लेकिन सभी के लिए सुलभ नहीं है। दो गांवों में यह उपलब्ध है, लेकिन गुणवत्ता वाली नहीं है। केवल नौ गांवों में, एएफएचसी में अच्छी गुणवत्ता के सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध और सुलभ हैं।
  • 63 गांव के स्कूलों में से केवल 25 में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं जो अच्छी गुणवत्ता के हैं और सभी के लिए सुलभ हैं। 15 गांवों में अलग शौचालय उपलब्ध नहीं हैं। 10 गांवों में सेवा सभी के लिए सुलभ नहीं है, और 13 गांवों में यह सेवा सुलभ तो है, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाली नहीं है।

सुरक्षा

  • 47 गांवों में, आंगनवाड़ी केंद्र द्वारा बाल विवाह, कम उम्र में गर्भावस्था और संबंधित जोखिमों की जानकारी मौखिक रूप से साझा की जाती है। 3 गांवों में ऐसी जानकारी प्रदर्शित की जाती है और 10 गांवों में कोई जागरूकता प्रदान नहीं की जाती है। केवल 3 गांवों में जानकारी नियमित रूप से अभियानों के माध्यम से साझा की जाती है और समझाई जाती है।
  • 19 गांवों में, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/ब्लॉक अस्पताल द्वारा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्‍सो) अधिनियम और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के बारे में मौखिक रूप से जानकारी साझा की जाती है। 1 गांव में पोक्‍सो और जेजे एक्‍ट के बारे में जानकारी स्कूल में और 2 गांवों में, स्कूल में अभियानों के माध्यम से प्रदर्शित की जाती है। हालांकि, एक महत्वपूर्ण 41 गांवो में किसी किस्‍म की जागरूकता नहीं है। 
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