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लड़कियों के नेतृत्व में शुरू की गई पहल ने बेहतर स्वास्थ्य और समग्र कल्‍याण के लिए 10 महत्‍वपूर्ण सिफारिशें कीं

Adolescents | September 22, 2019

झारखंड में सामूहिक प्रयास के लिए ‘अब मेरी बारी’ की बालिका समर्थकों ने प्रमुख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामुदायिक नेताओं, सरकार, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य किशोरों के साथ बातचीत किया

सिमडेगा, 22 सितंबर, 2019: आज लगभग 50 बालिकाओं ने सरकारी प्रतिनिधियों, प्रमुख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामुदायिक नेताओं, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य किशोरियों को दस महत्‍वपूर्ण सिफारिशों का एक चार्टर दिया। इन बालिका समर्थकों ने झारखंड के छह जिलों में उनके द्वारा आयोजित 63 सोशल ऑडिट के विश्लेषण के आधार पर दस महत्‍वपूर्ण सिफारिशों की पहचान की।

बालिका समर्थकों ने महत्वपूर्ण कमियों के बारे में बताया और किशोर उम्र में गर्भधारण, पढ़ाई के बीच में बाधित शिक्षा, शीघ्र विवाह और घरेलू हिंसा एवं यौन शोषण के मामले में गंभीर जोखिम की रोकथाम के उद्देश्‍य से यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार (एसआरएचआर), शिक्षा, सुरक्षा और पोषण तक बेहतर पहुंच की मांग की।  

मुलाकात के दौरान, सिमडेगा के कोलेबिरा की कृति कुमारी ने बताया कि “सोशल ऑडिट करते समय, हमें सरकारी अधिकारियों और प्रमुख स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने का अवसर मिला जो किशोरी केंद्रित कार्यक्रमों और योजनाओं की डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं। इससे हम उनके नजरिये को समझ पाये और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से सेवाओं की डिलीवरी में सुधार के लिए सिफारिशें प्रदान कर पाये।”

झारखंड के किशोरियों को सशक्त बनाने के लिए सहयोगी कार्रवाई के बारे में एक पैनल में, सीआईएनआई, के प्रोग्राम मैनेजर, अमित घोष ने कहा कि “झारखंड की किशोरियों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों का संबंध कई सामाजिक मुद्दों से है। 63 गांवों से प्राप्त सोशल ऑडिट डेटा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य अधिकारों (एसआरएचआर) में सुधार के लिए स्कूलों, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों, स्थानीय शासन के निकायों और समुदायों को अच्छी तरह से सुसज्जित करने की आवश्यकता पर जोर डालते हैं। इसे सरकारी विभागों, गैर-सरकारी संगठनों और विशेषज्ञों के सहयोग से संभव बनाया जा सकता है।”

बालिका समर्थकों ने चार्टर को एक बस यात्रा के हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया, जो झारखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में सात जिलों में जा रही है। इस बस यात्रा की मेजबानी ‘अब मेरी बारी’ अभियान कर रहा है, जो मार्च 2019 में शुरू हुआ है, जिसका उद्देश्‍य देशव्यापी स्तर पर किशोरियों की प्राथमिकताओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है।

अभियान के जरिये, इन लड़कियों को उनके गांवों में सरकारी सेवाओं का आकलन करने, अपने साथियों, समुदायों और सेवा प्रदाताओं के साथ जुड़ने, सोशल ऑडिट करने, सिफारिशें तैयार करने और इन सिफारिशों को साथ मिल कर आगे ले जाने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन के साथ काम करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

21 सितंबर को गुमला में बस यात्रा शुरू हुई, और स्थानीय अधिकारियों और लोगों के साथ बातचीत करने के लिए आज सुबह सिमडेगा पहुंची। अगला पड़ाव रांची है जहां राज्य स्तर का एक बड़े आयोजन में, उत्तर प्रदेश के लिए रवाना होने से पहले, झारखंड की गतिविधियों का समापन किया जायेगा।

चार्टर में दी गईं सिफारिशें झारखंड के सिमडेगा, सरायकेला, दुमका, गुमला, देवघर और लोहरदगा जिले के 63 गांवों में की गई किशोरी केंद्रित योजनाओं और सेवाओं के सोशल ऑडिट और रिसोर्स मैपिंग पर आधारित हैं, जिसमें राष्‍ट्रीय किशोर स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम (आरकेएसके), माहवारी स्वच्छता योजना (एमएचएस) और सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) जैसी योजनाएं शामिल हैं। वर्ष 2019 के अगस्त और सितंबर में कुल 63 सोशल ऑडिट एकत्र किए गए और उनका मिलान किया गया। लड़कियों द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा और सिफारिशें एक छोटे सैम्‍पल साइज पर आधारित हैं और यह बालिका समर्थकों और सामुदायिक हितधारकों की धारणाओं पर केन्‍द्रित हैं।

ये 50 बालिका समर्थकों ने ‘अब मेरी बारी’ अभियान के अंतर्गत अपने सीखे गये कौशल के आधार पर 300 अन्य बालिका समर्थकों को प्रशिक्षित करेंगी। इन कौशलों में सरकारी सेवाओं का आकलन करना, विभिन्न हितधारकों के साथ जुड़ना, सोशल ऑडिट करना, सार्वजनिक बोलना, आंकड़ों का विश्लेषण करना और अपने स्थानीय प्रशासन के लिए सिफारिशें करना और संबंधित लोगों के साथ साझेदारी में इन सिफारिशों को लागू करने पर काम करना शामिल है।

लड़कियों को विवाह, प्रजनन और अपने समग्र जीवन के बारे में जानकारियो के आधार पर स्वयं निर्णय लेने के लिए यह आवश्यक है कि वे स्कूल में रहें, उन्हें यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जानकारी प्रदान की जाए, और गुणवत्ता सेवाओं एवं प्रावधानों तक उनकी पहुंच बने। ये बाल विवाह को रोकने, कम उम्र में  गर्भावस्था का मुकाबला करने तथा लड़कियों और युवा महिलाओं की सशक्त और स्वस्थ आबादी को सक्षम करने के लिए अत्‍यधिक सहायक हैं।

किसी भी अन्य जानकारी के लिए, कृपया <Placeholder for local partner POC> को लिखें।

चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सीआईएनआई)

चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट (सीआईएनआई) 1974 से वंचित समुदायों के साथ काम करने वाला एक पंजीकृत राष्ट्रीय स्तर का स्वैच्छिक संगठन है। सीआईएनआई को बाल कल्याण के लिए दो बार, 1985 और 2004 में , राष्ट्रीय बाल कल्याण पुरस्कार मिल चुका है। यह स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और बच्चों, किशोरियों और महिलाओं के लिए सुरक्षा के क्षेत्र में सतत विकास के अपने मिशन के आधार पर काम करते हैं। यह संस्थान अब पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम और असम के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 7 मिलियन से अधिक लोगों (सीधे या साझेदारी के माध्यम से) तक पहुंचता है।

‘अब मेरी बारी’ के बारे में

‘अब मेरी बारी’ अभियान मार्च 2019 में शुरू किया गया था। यह अभियान किशोरियों के मुद्दों को सामने लाने तथा यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, सुरक्षा, शिक्षा, पोषण जैसे मुद्दों पर, जो उनके समग्र विकास और सेहत में योगदान करते हैं, बातचीत करने का प्रयास है । किशोरियों की प्राथमिकताओं के बारे में जागरूकता पैदा करने के उद्देश्‍य से ‘अब मेरी बारी’ अभियान को एक राष्ट्रव्यापी अभियान बनाने के लिए तैयार किया गया है।

अभियान के पहले चरण में, गतिविधियों को झारखंड और राजस्थान में केंद्रित किया गया है। अभियान की गतिविधियों को 60 से अधिक बालिका समर्थकों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है जिसमें क्वेस्ट एलायंस, सेंटर फॉर कैटेलाइजिंग चेंज, चाइल्ड इन नीड इंस्टीट्यूट, मैजिक बस, अरावली, दासरा पूरे झारखंड और राजस्थान में शामिल हैं। इन लड़कियों को उनके संबंधित गांवों में सरकारी सेवाओं का आकलन करने, अपने साथियों, समुदायों और सेवा प्रदाताओं के साथ जुड़ने, सोशल ऑडिट करने, सिफारिशें तैयार करने और इन सिफारिशों को साथ मिल कर आगे ले जाने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन के साथ काम करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

अगले चरण में, 60 से अधिक बालिका समर्थक 300 बालिका समर्थकों को एक समान स्‍किल सेट पर प्रशिक्षित करेंगी। ये 300 बालिका समर्थक किशोरी-केंद्रित सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों की बेहतर डिलीवरी के लिए आकलन करना, विश्लेषण करना, साझा करना और सहयोग करना जारी रखेंगी।

दासरा के बारे में

दसरा का संस्कृत में अर्थ है ‘जागरुकता के साथ देना’। दासरा एक अग्रणी महत्‍वपूर्ण परोपकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य एक ऐसे रूपांतरित भारत का निर्माण है, जहां एक अरब लोग गरिमापूर्ण और न्‍यायसंगत तरीके से विकास करें। 1999 में अपनी स्थापना के बाद से, दासरा ने हितधारकों (कॉरपोरेट्स, फ़ाउंडेशन, परिवार, गैर-लाभकारी, सामाजिक व्यवसाय, सरकार और मीडिया) के विश्वास-आधारित नेटवर्क के बीच शक्तिशाली भागीदारी के माध्यम से सहयोगात्मक कार्रवाई करके सामाजिक परिवर्तन को गति दी है। इन वर्षों में, दासरा ने 500 परोपकारियों, कॉरपोरेट और फाउंडेशन के साथ काम किया है, विभिन्न क्षेत्रों में 22 शोध रिपोर्टों को प्रकाशित किया है और इस सेक्‍टर के लिए 34 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का वित्तपोषण किया है।

 

सोशल ऑडिट के निष्कर्षों की मुख्य विशेषताएं

लड़कियों के नेतृत्व वाले सोशल ऑडिट के गुणात्मक विश्लेषण से पता चला कि सामाजिक कार्यक्रमों की डिलीवरी के मामले में किन क्षेत्रों में सुधार हो सकते हैं, जिसका झारखंड में स्वास्थ्य, पोषण और जेंडर समानता से संबंधित प्रमुख विकास संकेतकों में सुधार लाने में प्रत्यक्ष प्रभाव हो सकते हैं।

क्षेत्र

विश्लेषण

यौन अधिकार स्वास्थ्य अधिकार और स्वास्थ्य

 

§  63 में से 37 गांवों मतें दी जा रही सेवाओं के संदर्भ में मौखिक रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/उप स्वास्थ्य केंद्र में श्वसन तंत्र संक्रमण (आरटीआई), यौन संचारित रोग (एसटीडी), एड्स जैसे गैर-संचारी और संचारी रोगों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।

§  63 गांवों में से केवल चार में अनुकूल किशोरी अनुकूल स्वास्थ्य क्लिनिक (एएफएचसी) हैं, 12 गांवों में एएफएचसी की सेवाएं नहीं हैं, 19 गांवों में सेवाएं हैं लेकिन ये सभी के लिए सुलभ नहीं हैं, 28 गांवों में एएफएचसी की पर्याप्त पहुंच है।

§  तीन गांवों में यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और स्वच्छता के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। यह 23 गांवों में दिया जाता है लेकिन मौखिक रूप से नहीं बताया गया है, इसे पांच एएफएचसी में प्रदर्शित किया गया और समझाया गया है। पांच गांव शिविरों और अभियानों के माध्यम से जानकारी प्रदान करते हैं

 

शिक्षा

 

§  केवल 29 गांवों में अध्ययन सामग्री के साथ-साथ अच्छी गुणवत्ता वाली मुफ्त पुस्तकों तक पहुंच है, 12 गांवों में पहुंच तो है, लेकिन यह पहुंच खराब गुणवत्ता के साथ है, 11 में अनियमित पहुंच है और 11 में सेवा तक पहुंच नहीं है।

स्वच्छता और माहवारी स्वच्छता प्रबंधन

 

§  35 गांवों में, एएफएचसी में सैनिटरी पैड का बुनियादी सेवा प्रावधान अनुपलब्ध है। 17 गांवों में सेवा तो उपलब्ध है, लेकिन सभी के लिए सुलभ नहीं है। दो गांवों में यह उपलब्ध है, लेकिन गुणवत्ता वाली नहीं है। केवल नौ गांवों में, एएफएचसी में अच्छी गुणवत्ता के सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध और सुलभ हैं।

§  63 गांव के स्कूलों में से केवल 25 में लड़के और लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं जो अच्छी गुणवत्ता के हैं और सभी के लिए सुलभ हैं। 15 गांवों में अलग शौचालय उपलब्ध नहीं हैं। 10 गांवों में सेवा सभी के लिए सुलभ नहीं है, और 13 गांवों में यह सेवा सुलभ तो है, लेकिन अच्छी गुणवत्ता वाली नहीं है।

सुरक्षा

 

§  47 गांवों में, आंगनवाड़ी केंद्र द्वारा बाल विवाह, कम उम्र में गर्भावस्था और संबंधित जोखिमों की जानकारी मौखिक रूप से साझा की जाती है। 3 गांवों में ऐसी जानकारी प्रदर्शित की जाती है और 10 गांवों में कोई जागरूकता प्रदान नहीं की जाती है। केवल 3 गांवों में जानकारी नियमित रूप से अभियानों के माध्यम से साझा की जाती है और समझाई जाती है।

§  19 गांवों में, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/ब्लॉक अस्पताल द्वारा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्‍सो) अधिनियम और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के बारे में मौखिक रूप से जानकारी साझा की जाती है। 1 गांव में पोक्‍सो और जेजे एक्‍ट के बारे में जानकारी स्कूल में और 2 गांवों में, स्कूल में अभियानों के माध्यम से प्रदर्शित की जाती है। हालांकि, एक महत्वपूर्ण 41 गांवो में किसी किस्‍म की जागरूकता नहीं है।

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